हर रोज सुबह शाम जमशेदपुर में दौड़ती है ऐसी गाड़ी. जिसमें सवारी अपनी जान के बाजी लगाकर सवार होते इन गाड़ियों के ऊपर। वैसे तो प्रशासन हेलमेट चेकिंग एवं तीन व्यक्ति एक बाइक पर सवार होने से फाइन वसूल करते हैं। लेकिन इस तरफ क्या प्रशासन का कोई नजर नहीं है ! जबकि सुबह शाम हर रोज ऐसी गाड़ियों में मौत का खेल खेला जाता है। क्यों सो रही है प्रशासन ? क्यों नजर नहीं है ? इस तरह क्या मजदूर वर्ग के लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है? क्यों सावधानी बरती नहीं जाती इन लोगों के साथ ???