डाकिया योजना से सबर परिवारों को चना दाल, चना, चीनी, नमक आदि नियमित रूप से नहीं मिलता हैं.

पोटका प्रखंड में सबर परिवारों के लिए डाकिया योजना चलाई जा रही है इस योजना में कई लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं कि योजना में हेराफेरी हुई है मामले की सत्यता की जांच के लिए जब सबरो के बहुल क्षेत्र सबर नगर जो जमीन से 500 फीट की ऊंचाई पर निवास करते हैं उन परिवारों से जाकर मिले तो उनके जीवन को देखकर दंग रह गया आखिर इस अंतिम व्यक्ति के अनाज में किसने डाका डाला वास्तविकता की जांच के लिए जब सबर परिवारों से मिले तो उनका कहना था कि चावल तो मिलता है मगर इन स्वर परिवारों को किरासन तेल, चीनी, नमक, दाल, चना आदि नहीं मिलता आखिर क्यों सबर के नाम पर उठा होता है चीनी दाल नमक आदि का कौन खा रहा है.

मामला के संबंध में बता दे कि 2016 से तत्कालीन खाद आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने एक आदेश जारी करते हुए सबर के अनाज की कालाबाजारी को रोकने के लिए सबर तक अनाज सही मात्रा में पहुंचे इसको लेकर सभी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को इसका लाइसेंस देकर डीलर बना दिया गया ताकि इस पर जो सवाल खड़े होते हैं उसे रोका जा सके मगर ऐसा हुआ नहीं पोटका में पदाधिकारियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई और इस डाकिया योजना में चावल किरासन आदि का उठाव प्रतिमाह होता रहा मगर सिर्फ और सिर्फ इन सबर परिवारों को मिला तो मिला सिर्फ चावल बाकी वस्तुएं इन सबर परिवारों को नहीं मिल पाई इसके लिए जिम्मेवार कौन वहीं दूसरी ओर 2016 से 564 राशन कार्ड रन कर रहे थे जो जून 2019 में 136 राशन कार्ड अचानक से काट दिया गया वजह क्या थी 136 सबर परिवार गए तो कहां गए की किनके रिपोर्ट पर इन सारे राशन कार्ड को डिलीट किया गया मामला गंभीर है जांच का विषय है जांच होनी चाहिए वहीं दूसरी और सबर परिवारों का कहना है कि चना दाल का वितरण नहीं हुआ साथी साथ कभी भी किरासन तेल और नियमित रूप से चीनी का वितरण हुआ ही नहीं उठाव करने के बाद वस्तुओं का क्या हुआ यह जांच का विषय है आखिर सबर परिवारों के चावल के अलावा अन्य वस्तु को कौन डकार रहा है यह सबसे बड़ी सवाल है जिला प्रशासन को चाहिए कि मामले को गंभीरता से लेते हुए एक टीम गठित कर मजिस्ट्रेट की नियुक्ति में नवंबर महीने का राशन वितरण हो ताकि सही तरीके से सबर परिवारों को पहचान हो सके और उनको सारी वस्तुएं उपलब्ध हो सकें वहीं इस मामले को पोटका के जयराम हसदा द्वारा खाद आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव को एक लिखित शिकायत की है शिकायत के आलोक में आज 15 दिन बीत चुके हैं मगर अब तक जांच की शुरूआत नजर नहीं आ रही है मामले की बड़े पैमाने पर जांच होनी चाहिए और आदिम जनजाति के अंतिम पायदान पर आने वाले सबर परिवारों को उनका लाभ मिलना चाहिए.

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