Jamshedpur – बलदीप सिंह ने इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कर रौशन किया

कहते है कि अगर मन मे कुछ कर लेने की चाह हो तो बड़ी से बड़ी रुकावटे हार मान लेती है ऐसा ही कुछ कर दिखाया जुगसलाई निवासी बलदीप सिंह ने साइड पुशअप जम्प में उम्दा प्रदर्शन कर इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कर पूरे शहर व राज्य का नाम रौशन किया

फिलीपींस में रह रहे जुगसलाई निवासी बलदेव सिंह एमबीबीएस की तैयारी कर रहे हैं जहां पिता की इच्छा है कि उनका पुत्र एक बड़ा डॉक्टर बने, जहां डॉक्टरी की पढ़ाई करते-करते बलदीप सिंह ने कुछ अलग करने का ठाना और इस वैश्विक महामारी में समय का सदुपयोग करते हुए साइड पुशअप जम्प में उम्दा प्रदर्शन कर अपना नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर परिवार के साथ साथ शहर व राज्य का नाम रोशन किया, बलदीप बताते हैं कि उनके पिता का मेडिकल स्टोर है और उनके पिता चाहते हैं कि वे डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करें, पर डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने कुछ हट कर करना चाहा और आज 1 मिनट में 31 बार साइड पुशअप जम्प कर इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया, उन्होंने बताया सफलता के पीछे उनके परिवार के सदस्यों का पूरा सहयोग रहा जब वे फिलीपींस से वैश्विक महामारी के समय घर लौटे तो पिता माता और बड़े भाई ने इस प्रतियोगिता में उनका पूरा साथ दिया जिस से आज उन्होंने यह मुकाम को हासिल किया

बचपन से ही बलदीप ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई मेडल ट्रॉफी अपने नाम किया,बलदीप हर प्रतियोगिता में सफल हो इसके लिए उनकी माता ने जी जान से मेहनत की, उनकी माता सतवंत कौर ने बताया कि वो स्वयं योगा की शिक्षिका रह चुकी हैं जहां उन्होंने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और सफल हुई, बचपन से ही उन्होंने अपने बच्चों को हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने बलदीप की सफलता पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि बच्चों के अंदर कई प्रतिभाएं छुपी होती है जरूरत है हर अभिभावकों को आगे बढ़कर बच्चों के अंदर छुपी प्रतिभा को निखारने की जरूरत है ताकि बच्चे अपनी प्रतिभा को निखार ते हुए सफलता कि मंजिल को पा सके

पिता के अनुसार इस वैश्विक महामारी के चलते उनका पुत्र भी काफी मायूस हो चुका था फिलिपिंस से वह इंडिया वापस आया पर उसने अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और 3 महीने की इस कड़ी मेहनत का फल आज उसे मिला है कि आज उसने इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया उन्होंने बताया वे एक मेडिकल स्टोर चलाते है उनकी इच्छा है कि उनका पुत्र डॉक्टर बने डॉक्टरी के साथ साथ उनके पुत्र को फिटनेस का काफी शौक था उनके शौक को उन्होंने कभी खत्म होने नहीं दिया और उसे आगे बढ़ाने के लिए हर कोशिश कि, जिसका परिणाम है कि आज उनका पुत्र सफल हुआ

अगर हम अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए परिश्रम करें तो उसका परिणाम अवश्य निकलेगा जरूरत है सकारात्मक सोच रखते हुए कड़े परिश्रम की

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