कृषि कार्य में जोड़कर फूल,परवल आदि की खेती के लिए स्वरोजगार के लिए किया प्रोत्साहित
लॉकडाउन होते ही सभी प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने गंतव्य स्थान तक पलायन शुरू हो गया था इस बीच सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि सारे प्रवासी मजदूरों को किस तरह गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए इसको लेकर जिला कृषि पदाधिकारी के मिथिलेश कुमार कालिंदी को लगभग 10000 प्रवासी मजदूरों का डाटा उपलब्ध कराया गया था जो प्रवासी मजदूर कृषि कार्य के लिए इच्छुक थे.

उन्हें कृषि कार्य को लेकर प्रशिक्षण देने एवं उन्हें बीज उपलब्ध कराकर कृषि कार्य से जोड़कर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना जिसके तहत जिला कृषि पदाधिकारी ने गांव गांव जाकर प्रवासी मजदूरों को कृषि कार्य में जोड़ने का काम किए जो आज कई हजार ऐसे प्रवासी मजदूर हैं जो गांव में ही रह कर किसी कार्य कर अच्छी फसल उत्पादन कर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं प्रवासी मजदूरों को धान, मूंग, मक्का, अरहर आदि बीज उपलब्ध कराए गए साथ ही प्रगतिशील किसानों के साथ फूल, परवल आदि की खेती के लिए भी प्रोत्साहित किए ताकि आगे चलकर बन अच्छे किसान बन सके.

