सरना धर्म आदिवासियों का धर्म, प्रकृति की की जाती है पूजा : नरेश मुर्मू
Potka – हाता में अंतरराष्ट्रीय संथाल परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश मुर्मू द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि सरना धर्म आदिवासियों का धर्म है यह प्राचीनतम धर्म है जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है आदिवासी समाज जब से जंगलों में रहता है तभी से प्रकृति के सारे नियमों को जानता रहा है. इसमें यह समाज पेड़ पौधों पहाड़ को संपदा मानकर पूजता आया है.

वर्तमान में पर्यावरण पर संकट उत्पन्न हुआ है इस समय इन विचारों की बहुत आवश्यकता है उन्होंने मांग की कि 2021 में होने वाली जनगणना में आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड का होना अत्यंत आवश्यक है झारखंड विधान सभा में बहुमत के साथ सरना धर्म कोड को केंद्र में भेजा गया है साथ ही साथ कई माननीय सांसदों ने भी इस मामले को लेकर सांसद में सरना धर्म कोड की मांग को जायज ठहराया हैं यदि जनगणना के समय सरना कोड का भी विकल्प हो तो आदिवासी समुदाय के लिए उचित होता मैं मांग करता हूं कि विश्व के सबसे प्राचीनतम धर्म को संरक्षण देने के लिए यह सबसे न्याय संगत होगा प्रेस वार्ता में विश्व सरना संगठन के सचिव सोमाय सोरेन तथा सी. आर. माझी सेंट्रल जाहेर थान के अध्यक्ष एवं केंद्रीय सरना धर्म परिषद के महासचिव आदि उपस्थित रहे.
