ऑल झारखंड तेलुगू समाज ने बाराद्वारी कार्यालय में उगादि एवं तेलुगू नववर्ष धूमधाम से मनाया।

ऑल झारखंड तेलुगू समाज ने बाराद्वारी कार्यालय में उगादि एवं तेलुगू नववर्ष धूमधाम से मनाया गया इस मौके पर अध्यक्ष वाई ईश्वर राव ने कहा उगादी का यह त्योहार दक्षिण भारत में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है जोकि इसके महत्व को और भी बढ़ा देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस त्योहार के समय वसंत ऋतु अपने पूरे चरम पर होती है। जिसके कारण मौसम काफी सुहावना रहता है, इसके साथी ही इस समय लोगो में नयी फसल को लेकर भी खुशी छायी रहती है।

यल नागेश्वर राव ने कहा उगादी का यह पर्व हमें प्रकृति के और भी समीप ले जाने का कार्य करता है क्योंकि इस त्योहार के दौरान पीये जाने वाले पच्चड़ी जो नई इमली, आम, नारियल, नीम के फूल तथा गुड़ को मिलाकर मटके में बनायी जाती है। यह शरीर के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। जोकि हमारे शरीर को मौसम में हुए परिवर्तन से लड़ने के लिए तैयार करता है और हमारे शरीर के प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है,इसके साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस दिन कोई नया काम शुरु करने पर सफलता अवश्य मिलती है। इसलिए उगादी के दिन दक्षिण भारतीय राज्यों में लोग दुकानों का उद्घाटन, भवन निर्माण का आरंभ आदि जैसे नये कार्यों की शुरुआत करते हैं।

सभापति एम डी सुब्रमण्य जी ने कहा पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन ब्रम्हा जी सृष्टि की रचना शुरु की थी और इसी दिन भगवान विष्णु ने मतस्य अवतार धारण किया था। इसके साथ ही पहले के समय में यह किसानों के लिए एक खास अवसर होता था क्योंकि इस समय उन्हें नयी फसल की प्राप्ति होती थी, जिसे बेचकर वह अपने जरुरत के सामान खरीदा करते थे। यही कारण है कि उगादी के इस पर्व को कृषकों द्वारा आज भी इतना सम्मान दिया जाता है।

उपाध्यक्ष चंद्रशेखर राव ने कहा उगादी वह पर्व है जो हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि हमें अतीत को पीछे छोड़कर आने वाले भविष्य पर ध्यान देना चाहिए और किसी तरह के असफलता पर उदास नही होना चाहिए बल्कि सकारात्मकता के साथ नयी शुरुआत करनी चाहिए।
समाजम के प्रवक्ता यस प्रसाद राव ने कहा उगादी को लेकर कई सारे ऐतहासिक तथा पौराणिक वर्णन मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि उगादि के दिन ही भगवान श्री राम का राज्याभिषेक भी हुआ था। इसके साथ ही इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी। उगादि का यह त्योहार उस समय आता है जब भारत में वसंत ऋतु अपने चरम पर होती है और इस समय किसानों को नयी फसल भी मिलती है और क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए प्रचीन समय से ही किसानों द्वारा इस पर्व को नयी फसल के लिए ईश्वर को दिये जाने वाले धन्यवाद के रुप में मनाया जाता है।
इस मौके पर यम ईश्वर राव , कमल कुमार , यम जगदीश राव, नागेश चौधरी , नागेश्वर राव, जानकी राम,शेखर राव , काली प्रसाद , कृष्णा राव, प्रलाद राव, वेंकट राव, विजय कुमार, जी टी राव, यल आर राव, गोपी राव, भास्कर राव, शैलेश राव, सतीश राव , शामिल थे

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