मारंग गोमके ने अपने जीवनकाल में 1939 से लेकर 1970 तक 19 उच्चतम पदों पर अपनी सेवाएं दींःनवाज हुसैन

चाईबासा। झारखंड मुक्ती मोर्चा ने मारङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 118 वीं जयंती मनाई। झामुमो प्रखंड कमिटी ने कोल्हान पुस्तकालय भवन में रविवार को जयंती समारोह का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता नवाज हुसैन और संचालन सीताराम लागुरी ने की। कार्यक्रम की शुरुआत जयपाल सिंह मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्णण से हुआ। समाज के पुरोधा जयपाल सिंह मुंडा को याद करते हुए कार्यकर्ताओ ने तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए।
नवाज हुसैन ने कहा मारंग गोमके ने अपने जीवनकाल में 1939 से लेकर 1970 तक 19 उच्चतम पदों पर अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा संविधान सभा के सदस्य व 1952 से 1970 तक सांसद रहे। भारतीय संविधान के निर्माण के समय जयपाल सिंह मुंडा संविधान सभा के सदस्य थे। सदस्य के रूप में उन्होंने संविधान में आदिवासी, दलित और शोषितों के हित में आवाज उठाई। संविधान में आदिवासियों के हक अधिकार को कानूनी रूप दिलाने का काम किया। जिससे आज आदिवासी, दलित और शोषित समाज को कानूनी अधिकार प्राप्त हो सका है। जिस प्रकार बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर ने कानून में अनुसूचित जाति और दलित समाज के अधिकार के लिए कानून में व्यवस्था दिए है। उसी तरह मारङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासियों के लिए कानून में व्यवस्था देने का काम किया। जिसके कारण आदिवासियों को कानून में हक अधिकार मिल रहा है।इजहार राही ने कहा मरांग गोमके के नाम से मशहूर जयपाल सिंह मुंडा झारखंड के पहले ओलिंपियन थे। उनकी कप्तानी में भारत ने 1928 ओलिंपिक में पहला स्वर्ण पदक जीता था। जयपाल सिंह मुंडा छोटानागपुर के मुंडा जनजाति के थे। उनका जन्म तीन जनवरी 1903 को रांची जिले के खूंटी जिले के टकरा गांव में हुआ था।


उपस्थित वक्ताओ में उपेन्द्र लागुरी, कृष्ण चन्द्र सिंकु, सागर सिंकु, वामेश बेहेरा, कमल किशोर केसरी ने भी जयपाल सिंह मुंडा के जीवन पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन सुहैल अहमद ने दिया। मौके पर जोलेन भुंईया, कृष्णा सिंकु, गाँधी सिंकु, संकरा सिंकु, तारकेश्वर सिंकु, नन्कु, राजु, मंजुर आलम, शमसाद आलम सहित अन्य कार्यकर्ता मौजुद थे।

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