मनरेगा यानी रोजगार गारंटी कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में दम तोड़ रही है

मनरेगा के तहत मिटटी – मुरम रोड में कार्य किए हुए मजदूरों को आज 10 वर्ष बीत चुके हैं मगर नहीं मिला मजदूरी आज भी मजदूरी का पैसा मिलने की आस में बैठे हैं मजदूर, कई मजदूर तो स्वर्ग सिधार गए. सड़क पूरी तरह से आज बदहाल हो चुका है.

आपको बता दें कि पोटका प्रखंड अंतर्गत जुड़ी पंचायत के नुआ ग्राम से गंगाडीह जाने वाले बाईपास रास्ते का मिटटी मुरम रोड का कार्य 2010 में प्रारंभ हुआ था जिसके बाद इस सड़क में लगभग 50 मजदूरों ने कार्य कर इनका निर्माण किया था रोड की स्थिति तो आज बद से बदतर है आए दिन कई दुर्घटनाएं घट चुकी है. वहीं स्थानीय, किसान एवं मजदूर कहते हैं कि हम सबों को अपना फसल उत्पादन के बाद 4 किलोमीटर घूमकर लाना पड़ रहा है सड़क के बन जाने से हम सुगमता के साथ अपना फसल का उत्पादन कर घर तक ला सकते हैं मगर कई बार स्थानीय लोगों द्वारा लिखित देने के बाद भी इस सड़क का निर्माण नहीं हो पाया वही इस सड़क के निर्माण में 2010 में लगे लगभग 50 मजदूरो ने लगभग 40 दिनों तक कार्य किए इसके बाद भी इन मजदूरों को आज तक मजदूरी नहीं मिल पाया है मजदूर काफी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि गांव का सड़क था इसलिए हम लोग जी जान से मजबूती के साथ सड़क का निर्माण कार्य में लगे रहे मगर कार्य कराने के बाद इन्हें मजदूरी आज तक नहीं मिल पाई कई मजदूर मजदूरी की आस में स्वर्ग सिधार गए मगर अब भी कई मजदूर मजदूरी की आस लगाए बैठे हैं कई बार जिला प्रशासन को भी इसकी शिकायत लिखित द्वारा की गई मगर अब तक नहीं हुआ इन मजदूरों के समाधान इस आप सहज ही पता लगा सकते हैं कि मनरेगा मजदूरों के लिए कितना रोजगार के लिए गारंटी दे सकता है.