सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा और आदिवासी समुदाय के लोग बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं
मकर संक्रांति का पर्व पूरे झारखंड में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में और आदिवासी समुदाय के लोग इस पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं एक महीने से आदिवासी समुदाय के लोग अपने घर की रंग रंगाई, साफ सफाई तथा नए फसल घर लाने के बाद पहला चावल बनाते हैं. जिस चावल से पीठा बना कर एवं हार्डिया बनाकर देवी देवताओं को चढ़ाते हैं जिसके बाद इसका सेवन करते हैं.

पूरे झारखंड में मकर संक्रांति का पर्व बहुत बड़े पर्व के रूप में जाना जाता है इस पर्व को आदिवासी समुदाय के लोग काफी धूमधाम के साथ मनाते हैं. 1 महीने पहले से ही आदिवासी समुदाय के लोग अपने घर की साफ सफाई करते हैं और सुंदर सुंदर डिजाइन बनाकर घर को सजाते हैं एवं सभी परिवार के लोग नए नए कपड़े पहनते हैं वहीं इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि बच्चे बूढ़े सभी 1 सप्ताह पहले से ही पेड़ की डालियों को इकट्ठा कर एक जगह जमा करते हैं नदी किनारे जहां जैसे ही मकर संक्रांति के रात का 3:00 बजता है वैसे ही सारे गांव के लोग आग लगाकर आग के गर्मी को लेते हैं और नदी तालाबों में स्नान करके फिर उसी का अलाव से अपने को गर्म करते हैं जिसके बाद नए कपड़े पहन कर आते हैं एवं और भगवान को भोग लगाने के बाद इसके बाद सारे परिवार के लोग बैठ कर प्रसाद खाते हैं वहीं समाजसेवी मनोज सरदार का कहना है कि यह बहुत बड़ा पर्व है इस पर्व को मनाने के लिए आदिवासी समुदाय के लोग 1 महीने से तैयारियां करते हैं घर की साफ सफाई भी करते हैं नए कपड़े पहनते हैं और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं और खेतों से इकट्ठा किए गए धान से चावल बनाते हैं उसी से पीठा बनाकर सभी देवी देवताओं को चढ़ाते हैं उसके बाद प्रसाद को ग्रहण करते हैं.