जनता कोरोना के खौफ को भूल सड़कों पर उतरने को विवश हो गई है , जानिए विस्तार से

केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देशभर में आवाज मुखर होने लगे हैं. जहां जनता कोरोना के खौफ को भूल सड़कों पर उतरने को विवश हो गई है. केंद्र भले ही इसे विपक्ष की साजिश बता रहा हो, लेकिन लोग इसे मानने को कतई तैयार नहीं. देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूर से लेकर किसान तक केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलित हैं. आलम यह है कि खुद पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 104 वी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकर्ताओं को किए गए संबोधन के माध्यम से केंद्र सरकार की नीतियों को स्पष्ट करना पड़ा, बावजूद इसके जनता को केंद्र की नीतियों पर भरोसा नहीं रहा. इधर शनिवार को पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय के समक्ष अलग-अलग संगठनों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार से जीएसटी से लेकर श्रम कानून में संशोधन, कृषि बिल से लेकर, शिक्षा नीति में किए गए बदलाव को वापस लिए जाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा. वैसे इन्होंने केंद्र सरकार पर राज्यों का जीएसटी नहीं देने, जल जंगल जमीन के साथ सरकारी उपक्रमों का निजी करण किए जाने सहित कई प्रमुख मांगों को पर विचार किए जाने संबंधी फरियाद ज्ञापन के माध्यम से सौंपा है.
