शहर में कई आश्रय गृह का निर्माण

जमशेदपुर शहर लोहनगरी के नाम पर पूरे देश मे प्रसिद्ध है। वही देश के नंबर वन कंपनी टाटा ग्रुप के अलावा सहयोगी हजारो कंपनियों में दूरदराज से मजदूरो का आना जाना लगा रहता है। उधर झारखंड सरकार ने शहर में कई आश्रय गृह का निर्माण कराई है। जिसका मुख्य उद्देश्य है की खुले आसमान के नीचे किसी भी व्यक्ति की रात न बीते। यह सभी शहरी क्षेत्र में जेएनएससी के देखरेख में है। जहा लगभग ताले लटके हैं। वही कुछ आश्रय घरों में सुचारू रूप से देखभाल नेही होने से नतीजा बुनिवादी सुविधाओं से बंचित है। इतना ही नही कही-कही तो घर है तो छत नही है, वही फिर कही सर है तो दो वक्त की रोटी नही। वैसे में खुले आसमान के नीचे बित रही है जिंदगी के एक पल। सवाल है कि जमशेदपुर में लाखों रुपए की लागत से बनी आश्रय घरों की इमारतों का हाल बेहाल होते चले जा रही है। हालांकि देखभाल के लिए सरकार जेएनएससी को अधिकृत की है। लेकिन जेएनएससी के विशेष पदाधिकारी का इतने यस्त सिड्यूल में देखना तो दूर की बात शुनने के लिए भी मुश्किल है। हालांकि विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार मीडिया से भी दूरी तय कर ली हैं।

बेघरों को सहारा देने वाले औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में राज्य सरकार के द्वारा लाखों रुपए की लागत से बनी इमारतों में मजदूर, बेघर, प्रवासीयों का ठहरने के लिए उपयोग में लाया जाता है। झारखंड सरकार द्वारा आश्रय गृह निर्माण का मुख्य उद्देश्य यह है की खुले आसमान के नीचे किसी भी व्यक्ति की रात न बीते। साथ ही उन असहाय के लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था उपलब्ध हो सके। इसके लिए झारखंड सरकार के द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में आश्रय घरों का निर्माण किया गया था। जहा बाहर से ठहरने वाले आश्रितों के लिए बिजली,पानी,टॉयलेट,सोने के लिए चादर की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा दी जानी थी।लेकिन इन दिनों वैष्विक महामारी कोरोना के बीच जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति अपने वादों से फ़ेल होती नजर आ रही है। उधर गरीबों का आश्रय पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहरी क्षेत्र में मूल रूप से भुइँयाडीह के किशोर नगर में एक महिलाओं के लिए दूसरा पुरुषों के लिए, मानगो के डिमना रोड में पुरुष के लिए है। वही सोनारी आदर्शनगर, कदमा रामजन्मनागर,भुइयांडीह, मानगो बस स्टैंड, बर्मामांइस, जुगसलाई बाज़ार में आश्रय घर बनाए गए हैं। आश्रय घरों में राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक बाहर से आने वाले लोगों के देखरेख के लिए एक सुरक्षा प्रहरी व एक कर्मचारी श्रमिक की नियुक्ति की जानी थी। लेकिन ऐसी तस्वीरें जमशेदपुर के आश्रय घरों में ना के बराबर दिखती है।

वहीं बिहार से आए एक ट्रक चालक ने बताया यहाँ पर रहने के लिए पंचास रुपए दिन के और पचास रुपए रात के लिए जमा करना पड़ता हैं। जबकि आम लोगों के लिए मुफ्त में सेवा देने की बात है।

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