जमशेदपुर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद चार चक्का वाहनों में प्रतिष्टित लोग लाल रंग के पदनाम वाला बोर्ड लगाकर धड़ल्ले से घूम रहे हैं जिस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है।
पिछले 1 सप्ताह में लाल रंग का बोर्ड लगाकर घूमने वालों पर नजर रखने के बाद यह बात सामने आई है कि गजला तनवीर बनाम राज्य सरकार वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं उसका पूरी तरह से जमशेदपुर शहर में अवहेलना हो रही है जिस पर जिला प्रशासन सख्ती से निपटने से बच रही है ऐसा नहीं है की प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है कुछ दिनों पूर्व 1–2 वाहनों चालको पर कार्रवाई भी की गई लेकिन इसका असर अन्य लोगों पर नहीं हुआ आपको बता दें कि गजला तनवीर बनाम राज्य सरकार का मामला है क्या है। पीआईएल 419 के तहत यह मामला रांची हाई कोर्ट में दर्ज हुआ था उसमें यह उल्लेख किया गया था कि वाहनों में आगे और पीछे नंबर प्लेट के स्थान पर रंग बिरंगी बोर्ड खासकर लाल रंग का बोर्ड लगाकर उसमें जातिसूचक धार्मिक एवं कई अन्य तरह के शब्दों का प्रयोग किया जाता है जबकि लाल रंग का पदनाम वाला बोर्ड जिले के संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी लगानी चाहिए ताकि आमजनो को उनके पद की जानकारी हो सके साथ ही आपातकालीन सेवा जैसे एंबुलेंस को होने वाली समस्या से निजात मिले। इस दायर मामले के आलोक में 18 दिसंबर 2020 को उच्च न्यायालय ने आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जिसके तहत जिले के उपायुक्त, प्रमंडल आयुक्त, मुख्य सचिव, एसएसपी, मुख्य महानिदेशक, न्यायाधीश, लोकायुक्त यानी न्यायपालिका, वैधानिक आयोग एवं कार्यपालिका और केंद्र कार्यालय से संबंधित वरीय अधिकारियों को ही लाल रंग का पदनाम बोर्ड लगाना अनिवार्य है। इसके अलावा किसी भी माननीय अपने वाहन में लाल रंग का बोर्ड नहीं लगा सकते हैं लेकिन वे निर्गत किये गए अन्य रंग के बोर्ड लगा सकते हैं जिसमें राज्य के मंत्रिमंडल में शामिल मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक एवं अन्य, हरे रंग के पदनाम वाली पट्टीका लगा सकते हैं। इसी तरह सरकारी विभाग में पदस्थापित वरीय अधिकारी नीले रंग का बोर्ड का इस्तेमाल करेंगे। लेकिन जमशेदपुर में ऐसा सिर्फ सरकारी विभाग में पदस्थापित अधिकारी के वाहन में ही निर्गत किए गए रंगो वाले पद पट्टिका का निर्वाह किया जा रहा है। इसके अलावा मंत्री, विधायक, विभिन्न संगठन एवं संस्था के अधिकारी अध्यक्ष हाई कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं और धड़ल्ले से इस तरह के बोर्ड लगाकर सड़कों में घूम रहे हैं जिस पर जिला प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है। जो यह कहना गलत नहीं होगा कि न्यायालय के निर्देश का अवहेलना करना ये माननीय अपनी प्रतिष्ठा मानते हैं।वैसे DTO दिनेश रंजन ने बताया कि यैसे वाहनों के पकडे जाने पर धारा 179 और 179(1) के तहत क़ानून समंत कार्यवाई करने का प्रावधान है ।