मुस्लिम समुदाय के कुर्बानी का पर्व बकरीद जमशेदपुर में पूरे सादगी के साथ मनाया गया सभी मस्जिदों के बजाय अपने अपने घर में ही बकरीद की नमाज अदा की
बकरीद इस्लाम मजहब का प्रमुख त्योहार है इसे ईद उल अजहा और ईद उल जुहा के नाम से भी जाना जाता है इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष बकरीद 12 वें महीने के 10 तारीख को मनाई जाती है इसमें कुर्बानी देने की प्रथा है इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अहले सुबह उठकर पाक साफ होकर मस्जिद और ईदगाह जाते हैं जहां बकरीद की नमाज अदा कर कुर्बानी की तैयारी में जुट जाते हैं लेकिन इस वर्ष भी कोरोना काल के कारण लोग मस्जिदों में नमाज अदा नहीं कर सके सभी अपने अपने घरों में नमाज अदा कर अल्लाह से सुख शांति की दुआ की और एक दूसरे को बकरीद की शुभकामनाएं दी बकरीद पर्व को लेकर मुस्लिम समुदाय के जानकारों के अनुसार यह पर्व सदियों से चली आ रही है इस दिन अल्लाह पाक के द्वारा हजरत इब्राहिम अली से उसके सबसे प्यारे और अजीज की कुर्बानी देने का फरमान सुनाया था। 86 वर्ष के बाद पुत्र रत्न के रूप में प्राप्त हुए इस्माइल को ही इब्राहिम ने कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गया उन्होंने अपनी आंखों में पट्टी बांधकर अल्लाह की राह में पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दे दी लेकिन जैसे ही उन्होंने आंख की पट्टी खोली तो सामने पुत्र इस्माइल की जगह दुंबा पड़ा हुआ था जिसे मुस्लिम समुदाय अल्लाह पाक की आजमाइश के रूप में देखते हैं दुंबा बकरे का ही एक रूप है। इस दिन के बाद से ही यह प्रथा चली आ रही है इस दिन बकरे की कुर्बानी दे अल्लाह को समर्पित करते हैं और एक दूसरे के गले लग कर बकरीद की शुभकामनाएं देते हैं। वैसे इस वर्ष भी कोरोना के वजह से मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज अदा नहींं किए जाने से समुदाय के लोगों ने थोड़ी सी मायूसी है लेकिन उनका मानना है कि है यह एक ऐसा महामारी है जिसका पालन नहीं करना जान जोखििम में डालने जैसा है जिंदगी रही तो आन लेे समय मे और बेहतर तरीके से पर्व त्यौहार मनाया जा सकता है इस वर्ष भी समुदाय के लोग अपने अपने घरों में ही पूरे सादगी से पर्व मनाया और एक दूसरे को बकरीद की बधाई और सुभः कामनाएं दी। इधर प्रशासन ने भी पर्व को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए शहर के विभिन्न चौक चौराहों एवं संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर रखी थी।