सरायकेला- खरसवां जिला के ईचागढ़ क्षेत्र एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप मे जाना जाता है । वहीं चांडील डैम में जल भंडारण के साथ डैम के गर्भ मे कई ऐसे प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर समा गया ,जिसे न सरकार ओर न ही पुरातात्विक विभाग द्वारा संजोए रखा गया । ऐसे ही एक प्राचीन कालीन धरोहर कुकङु प्रखंड क्षेत्र के कुमारी गांव का है । गांव तो पुरा जल समाधि ले चुका है और कुमारी गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर मानो जल समाधि का इंतजार कर रहा है । जी हां चांडील डैम के पानी से चारों ओर से घीरा हुआ एक टापु मे प्राचीनकालीन शिवालय विराजमान है । आज भी दुर दराज से लोग नाव मे चङकर उक्त टापु मे जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं । प्रतिदिन यहां कहीं न कहीं से पुजा करने लोग पहुंचते हैं । अगल बगल के ग्रामीण एक बजरंगबली मुर्ति का भी स्थापना टापु मे किया है ।
बताया जाता है की प्राचीनकाल मे जहाँ ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्य पुजा करते थे और जब जब राज संकट का स्थिति पैदा होता था तो राजा द्वारा संकट टालने के लिए विशेष पुजा का भी आयोजन किया जाता था । आज भी यहां ओर कई मंदिर होने का प्रमाण मिलता है ,जिसका भग्नावशेष देखने को मिलता है ।वहीं आज भी लोगों का आस्था उस शिवलिंग पर बना हुआ है । ऐसे प्राचीन और दार्शनिक स्थल का सरकार और पर्यटन विभाग को विकसित करना चाहिए , जिससे सरकार को राजस्व और क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्राप्त होगा ।वैसे हमारा इण्टरटेनमेंट संस्था के निर्देशक अमरेश कुमार और सहपाठी भी नाव पर चङकर उस टापु मे पहुंचे और सुटिंग भी किया । निर्माता निर्देशक भी आश्चर्यचकित हो गये । उन्होंने कहा कि यह एक आस्था के साथ मनोरम और दार्शनिक स्थल है । ऐसे प्राचीन कालीन और दार्शनिक स्थल को बचाने की आवस्यकता है । उन्होंने बताया की इसकी लघु फिल्म बनाकर सरकार तक पहुंचाने का काम किया जाएगा ।