कोरोना पर भारी पड़ा 3 दिनों तक चलने वाला मंगला पूजा, पूजा को लेकर शहर के विभिन्न नदी घाटों में एक विशेष समुदाय के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जहां से श्रद्धालु जल लेकर पूजा स्थल पर पहुंचे। जमशेदपुर में मंगला पूजा एक समुदाय विशेष हरिजन समाज में विशेष महत्व रखता है जिस परिवार के लोग मां मंगला की पूजा करते हैं. नाम से ही आप जान सकते है कि यह पूजा मंगलवार को ही किया जाता है. इसके लिए परिवार के सदस्य रविवार से ही उपास में रहते हैं और मंगलवार को नदी से पूरे विधि-विधान और पूजा के साथ जल लेकर पूजा स्थल पर स्थापित करते हैं जहां रात भर मां देवी की पूजा होती है. जो संपन्न के बाद व्रत धारी अपना उपवास फल ग्रहण कर समाप्त करते हैं पूजा का बारे में मान्यता है. कि मां देवी की पूजा काफी कठिन होती है इनसे जो भी मन्नत मांगता वह पूरा होता है. और उसके बाद मन्नत धारी अपनी इच्छा अनुसार फल या जंतु का बलि चढ़ाते हैं. इससे पूर्व पूजा में शामिल श्रद्धालु पीला वस्त्र ग्रहण कर कलश लेकर नदी घाट पहुंचते हैं. जहां से प्रस्थान के दौरान ढोल नगाड़े की थाप के बीच महिलाएं झूमने लगती है. कहा जाता है कि झूमते हुए महिलाओ पर मां मंगला वास करती है. इस बीच नदी घाट के किनारे पंडित के द्वारा पूजन का विधि विधान करते है. वही मन्नत धारी बली चढ़ाते हैं और उसके खून को मुख्य व्रत धारी ग्रहण करते हैं. उनके ग्रहण करने से मन्नत धारी यह मानते हैं कि उनकी मन्नत सफल होगी फिलहाल पूजा का यह विधान हरिजन समाज के लिए काफी महत्व रखता है जो देर रात बाद पूजा संपन्न होती है।