बड़े बड़े वादों के बावजूद झारखंड के बुज़ुर्ग, विधवा और विकलांग सामाजिक सुरक्षा पेंशन से वंचितः ज्यां द्रेज़

खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम

सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर जन सुनवाई

भास्कर न्यूज,चाईबासा।मंगलवार को जिले के खुंटखाटी मैदान में सैंकड़ों बुज़ुर्ग, विधवा और विकलांग चाईबासा में आयोजित सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर जन सुनवाई में भाग लिया. यह सुनवाई खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिम सिंहभूम द्वारा आयोजित की गई थी (यह मंच ज़िले में खाद्य व सामाजिक सुरक्षा पर काम कर रहे संगठनों व व्यक्तियों का समूह है). ज़िले के सब 18 प्रखंडों से लोगों न आकर जन सुनवाई में भाग लिया और अपनी शिकायतों को सांझा किया.

जूरी में अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ व कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और वकील शामिल थे – गणेश पथ पिंगुआ (मुंडा-मानकी संघ), गुरजीत सिंह (निर्देशक, झारखंड सामाजिक अंकेक्षण डायरेक्टरेट), मिली बिरुआ, अशर्फी नन्द प्रसाद, बलराम, जेम्स हेरेंज (भोजन का अधिकार अभियान झारखंड). सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास की मंत्री जोबा मांझी ने भी जन सुनवाई में भाग लिया. कई ज़िला व प्रखंड-स्तरीय अधिकारी भी जन सुनवाई में मौजूद थे. मंच ने लंबित आवेदनों के कुल 1364 मामले और पेंशन ने मिलने के 648 मामलों को समेकित किया.

कई लोगो ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई बार पेंशन के लिए आवेदन किया, पर अभी तक उनकी पेंशन स्वीकृत नहीं हुई है. अधिकाँश को तो पेंशन आवेदन की रसीद भी नहीं मिलती. ऐसी एक महिला है पोड़ाहाट (सुनुआ) की 90-वर्षीय बुधनी बोदरा. वे कहती है कि बार बार प्रखंड कार्यालय के चक्कर काटने के बाद भी उन्हें उनकी पेंशन स्वीकृति की कोई जानकारी नहीं मिली. जब जूरी ने प्रशासन से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि आजकल ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे रसीद न खोए. जन सुनवाई में आए मामले दो गंभीर समस्याओं की वजह से उत्पन्न हो रहे है – पेंशन कोटा ज़रूरत से बहुत कम होना और पेंशन आवेदनों के प्रति प्रशासन का उदासीन रवैया.

सरकार के आंकलन के अनुसार 2021 में झारखंड में बुजुर्गों की अनुमानित संख्या 1,35,369 है. पर अभी पेंशन योजनाएं केवल 65 प्रतिशत बुजुर्गों को ही मिल रही हैं! विधवा महिलाओं व विकलांग लोगों की भी यह कहानी है. हालांकि hemant सोरेन सरकार ने वृद्धा पेंशन का कोटा बढ़ाने का वादा किया है, यह ज़रूरत से बहुत कम है.

लोगों ने पेंशन का आवेदन करने में आ रही समस्याओं के बारे में भी उल्लेख किया. हालांकि कमला कुई के पति की 20 साल पहले मृतु हो गई थी, उनकी विधवा पेंशन अभी तक स्वीकृत नहीं हुई है, चूंकि अभी तक उनके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है. जिन लोगों की मृत्यु कुछ महीने पूर्व हुई है, उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए शपथ पत्र माँगा जा रहा है. अधिकाँश विधवा महिलाएं ज़िला न्यायालय से शपथ पत्र बनवाने के लिए बिचौलियों को पैसा देने के लिए सक्षम नहीं हैं. यह भी बहुत दुःख की बात है कि विकलांग लोगों को अपना विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने (जो विकलांगता पेंशन के लिए अनिवार्य है) के लिए सदर अस्पताल तक जाना पड़ता है. शारीरिक रूप से बहुत विकलांग होने के बावजूद भी 10-अर्शीय सूरज पेंशन से वंचित है.

आधार की अनिवार्यता अभी तक लोगों को बहुत कष्ट दे रही है. आधार न होने के कारण मानकी गोदुआ अभी तक वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन नहीं कर पाई है. उँगलियों के निशान साफ़ न होने के कारण उनका आधार नहीं बन रहा. पिछले कुछ वर्षों में पेंशन योजना या बैंक खाता आधार से न जुड़े होने के कारण कई पेंशनधारियों को पेंशन मिलनी बंद हो गई है. कुछ ने अपना आधार जुद्वाकर अपनी पेंशन पुनः चालू करवा ली, पर बाकी को अभी तक पेंशन नहीं मिल रही. आधार ने होने के कारण पिछले दो वर्ष से जानो कुई सुरिं पेंशन से वंचित हैं. कुल 123 लोगों ने शिकायत की कि पिछले कुछ वर्षों में उन्हें पेंशन मिलनी बंद हो गई है. 148 लोगों ने कहा कि 60 वर्ष से अधिक होने के बावजूद वे पेंशन के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे, क्योंकि उनकी आधार में उनकी उम्र कम है.

जूरी के सदस्य जेम्स हेरेंज ने कहा कि पेंशन लोगों का अधिकार है और ने कि सरकार की दुआ. बलराम ने कहा कि अधिकारियों को इस बात का प्रचार करना चाहिए कि डीबीटी भुगतान के लिए आधार अनिवार्य नहीं है. ज्यां द्रेज़ ने मामलों के निपटारे के लिए अधिकारियों से तारीख माँगी और उन्होंने 10 मार्च तक का समय माँगा. अशर्फी नन्द प्रसाद ने सुझाव दिया कि मामलों के निपटारे के लिए एक सहायता केंद्र खोला जा सकता है.

सुनवाई के अंत में शिकायतकर्ताओं ने निम्न मांगें रखी:

• बिना किसी प्रकार के प्रतिबन्ध के, सार्वभौमिक पेंशन लागू की जाए एवं सभी बुज़ुर्ग, विधवा व विकलांग व्यक्तियों को पेंशन मिले.
• पेंशन राशि को बढ़ाकर कम-से-कम 3000 रु प्रति माह किया जाए एवं मुद्रास्फीति से जोड़ा जाए.
• सभी सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं से आधार की अनिवार्यता समाप्त हो.
• सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पेंशनधारियों को हर महीने के सातवें दिन तक पेंशन दी जाए.
• जितने पेंशनधारियों की कुछ महीने / सालों से पेंशन बंद हो गई है, उनकी पेंशन पुनः शुरू हो और जितने महीने पेंशन बंद थी, उस दौरान का पूरा भुगतान किया जाए.
• मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए – एफिडेविट की आवश्यकता समाप्त हो एवं केवल मुंडा / वार्ड सदस्य के सत्यापन के आधार पर प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए.
• विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए – सदर अस्पताल के बजाए प्रखंड स्तर पर मेडिकल सर्टिफिकेट निर्गत करने की व्यवस्था की जाए एवं आवेदकों को आने-जाने की सुविधा दी जाए.
• पेंशन आवेदन का पावती रसीद दी जाए एवं आवेदन की वर्तमान स्थिति को आवेदक से नियमित रूप से साझा करने की व्यवस्था स्थापित की जाए.
• पेंशन सम्बंधित शिकायतों के लिए एक सरल शिकायत निवारण व्यवस्था स्थापित की जाए.
• वृद्धा पेंशन के लिए पुरुषों के लिए उम्र की योग्यता को कम कर के 55 वर्ष किया जाए एवं महिलाओं के लिए 50 वर्ष किया जाए.

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